भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि अधिकारियों ने जुलाई के लिए सोयाबीन (Soybean Crop) किसानों को कुछ खास सलाह दी। देखें डिटेल..
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Soybean Crop | जुलाई का महीना सोयाबीन किसानों के लिए बेहद अहम होता है, खासकर तब जब मानसून अपने चरम पर होता है और खेतों में नई फसल की नींव डाली जा रही होती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने जुलाई 2025 के लिए सोयाबीन (Soybean Crop) किसानों को कुछ खास सलाह दी है, जो उनकी फसल को बेहतर बनाने और अच्छी उपज सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है।
इस लेख में हम इन सुझावों को आधुनिक और सरल हिंदी में आपके सामने पेश कर रहे हैं, ताकि हर किसान इसे आसानी से समझ सके और अपने खेतों में लागू कर सके।
मानसून के साथ कदम मिलाएं, बुवाई को दें नई दिशा | Soybean Crop
अधिकतर इलाकों में सोयाबीन की बुवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन कुछ किसान अभी भी सही समय का इंतजार कर रहे हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं, तो संस्थान का कहना है कि बुवाई तब करें जब आपके क्षेत्र में मानसून आ चुका हो और कम से कम 100 मिमी बारिश हो जाए। इससे मिट्टी में नमी बनी रहेगी, जो बीज के अंकुरण के लिए जरूरी है।
विलंब से बुवाई कर रहे किसानों के लिए सलाह है कि कतारों की दूरी 30 सेमी रखें और बीज की मात्रा 90-100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाएं। इससे पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलेगी और उपज भी बेहतर होगी।
साथ ही, अगर बुवाई में देरी हो रही है, तो जल्दी पकने वाली सोयाबीन (Soybean Crop) किस्मों को चुनें, जो कम समय में तैयार हो जाती हैं और मौसम के जोखिम से बचाती हैं।
सोया किस्म का प्रकार/सस्य क्रिया | शीघ्र पनेवाली/सीधी बढवार वाली सोया किस्में | मध्यम समयावधी/फैलने वाली किस्में |
कतारों की दुरी | 30 सेमी | 45 सेमी |
पौधों की दूरी | 5-7 सेमी. | 5-10 सेमी. |
बीज दर | 80-90 किग्रा/हे | 65-70 किग्रा/हे |
बीज की गहराई | 2-3 सेमी | 2-3 सेमी |
बी.बी.एफ./रिज-फरों/रेज बेड/ परंपरागत सीड ड्रिल द्वारा से बोवनी करें। विलंबित बुवाई में खरपतवार भी एक बड़ी चुनौती हो सकते हैं। इसके लिए खेत में कल्टीवेटर चलाकर खरपतवारों को नियंत्रित करें और उसके बाद ही बुवाई शुरू करें। यह तरीका न सिर्फ Soybean Crop खरपतवारों को कम करेगा, बल्कि आपकी फसल को मजबूत शुरुआत भी देगा।
फसल की विविधता और बीज की ताकत
Soybean Crop | किसानों को सलाह दी गई है कि वे एक ही किस्म पर निर्भर न रहें। इसके बजाय, अलग-अलग समय पर पकने वाली 2-3 किस्मों का इस्तेमाल करें। इससे मौसम की मार से फसल को बचाने में मदद मिलेगी और हर हाल में अच्छी उपज की उम्मीद बनी रहेगी।
जो किसान साल में तीन फसलें लेते हैं, उनके लिए जल्दी पकने वाली किस्में बेहतर हैं, जबकि दो फसलें लेने वाले मध्यम या लंबी अवधि वाली किस्मों को चुन सकते हैं। बीज की गुणवत्ता पर भी खास ध्यान दें। केवल वही बीज इस्तेमाल करें जिनकी अंकुरण क्षमता कम से कम 70% हो, ताकि अधिकतर बीज अंकुरित हों और स्वस्थ पौधे तैयार हों।
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मौसम से जंग जीतने की तैयारी | Soybean Crop
सूखा हो या फिर ज्यादा बारिश, मौसम की चुनौतियों से निपटने के लिए सोयाबीन की बुवाई चौड़ी क्यारी प्रणाली (BBF), रिज-फरो पद्धति या रेज्ड बेड तरीके से करें। ये विधियां मिट्टी में नमी को बनाए रखती हैं और जल निकासी को बेहतर करती हैं, जिससे फसल को नुकसान का खतरा कम हो जाता है।
साथ ही, इन तरीकों से बनी नालियों में सुवा या मेरीगोल्ड जैसी कीट आकर्षक फसलें बोएं। ये फसलें कीटों को अपनी ओर खींचती हैं और सोयाबीन को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।
बीजोपचार और उर्वरक : फसल की मजबूत नींव
Soybean Crop | फसल को रोगों और कीटों से बचाने के लिए बीजोपचार बेहद जरूरी है। संस्थान ने FIR पद्धति से बीजोपचार की सलाह दी है, जिसके लिए कई रासायनिक विकल्प उपलब्ध हैं। किसान अपनी सुविधा के हिसाब से इनमें से किसी एक को चुन सकते हैं।
इसके अलावा, मध्य क्षेत्र के लिए उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा 25:60:40:20 किलोग्राम NPKS प्रति हेक्टेयर है। इसे पूरा करने के लिए यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश या मिश्रित उर्वरकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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Soybean Crop | विकल्प निम्नानुसार हैं :-
1. यूरिया 56 कि.ग्रा. + 375-400 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट व 67 किग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश अथवा।
2. डी.ए.पी 140 किग्रा. + 67 किग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश+ 25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर अथवा।
3. मिश्रित उर्वरक 12:32:16 @200 किग्रा + 25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर।
4. आवश्यकतानुसार 25 kg जिंक सलफेट (Zinc Sulphate) +50 kg आयरन सल्फेट (Iron Sulphate)
खरपतवारों से छुटकारा, फसल को राहत
खरपतवार फसल (Soybean Crop) की सेहत के लिए बड़ा खतरा हैं। इनसे निपटने के लिए बुवाई से पहले, बुवाई के तुरंत बाद या फिर बुवाई के 10-20 दिन बाद इस्तेमाल होने वाले खरपतवारनाशकों का प्रयोग करें।
छिड़काव के दौरान पर्याप्त पानी का इस्तेमाल करें और पोस्ट-इमर्जेंस (POE) खरपतवारनाशकों के लिए फ्लड जेट या फ्लैट फैन नोजल का उपयोग करें। इससे खरपतवारों पर असर बेहतर होगा और फसल सुरक्षित रहेगी।
बुवाई के बाद की देखभाल
कई इलाकों से खबरें आई हैं कि बुवाई के बाद सोयाबीन (Soybean Crop) का अंकुरण कमजोर रहा है। ऐसे में किसानों को फिर से बुवाई करने या पौधों में अधिक अंतराल वाली कतारों में बीज डालकर गैप फिलिंग करने की सलाह दी गई है।
मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में अलसी की इल्ली का प्रकोप देखा गया है। इसके लिए फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी. (250-300 ग्रा/हे) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब 15.8 EC (333 मिली/हे) में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करें।
साथ ही, तना मक्खी का खतरा भी इस समय बढ़ सकता है, जिसके लिए थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) का इस्तेमाल करें। : Soybean Crop
सावधानी ही सफलता की कुंजी
संस्थान ने किसानों से अपील की है कि वे ऐसे कीटनाशकों या खरपतवारनाशकों के मिश्रण का इस्तेमाल न करें, जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध न हों। इससे फसल को नुकसान हो सकता है। जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए भी अनुशंसित बीजोपचार विधियों का पालन करना जरूरी है।
जुलाई 2025 में सोयाबीन की खेती (Soybean Crop) को सफल बनाने के लिए ये सलाह आपकी मेहनत को सही दिशा दे सकती है। इन तरीकों को अपनाकर न सिर्फ फसल की सेहत सुधरेगी, बल्कि आपकी मेहनत का फल भी दोगुना होगा। तो देर न करें, अपने खेतों को तैयार करें और इस मानसून में सोयाबीन की बंपर पैदावार का सपना पूरा करें।
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